विश्व योग दिवस 2020 , योग का महत्व ?
योग कोई धर्म नही, भलाई, यौवन, शरीर तथा आत्मा के सहज एकीकरण का विज्ञान ही है योग।
अंतराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर अवनिश फाउंडेशन के बैनर तले संस्थापक सदस्य ऊर्जावान युवा व सफल नेतृत्वकर्ता मेरा लाडला और मेरे माटी की शान हम सबका हृदयांश बाबु शिवम मौर्या की संस्तुति पर अवनिश फाउंडेशन के पेज से "योग" को अपने शब्दों में रखने का गरिमामयी अवसर प्राप्त हुआ।
आज योग की महत्ता को यदि शब्दों में पिरोने के लिए कहा जाय तो हम साफ शब्दों में कहना चाहेंगे कि योग का शाब्दिक अर्थ ही जोड़ना या जुड़ना होता है, जोड़ने का तात्पर्य आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह प्रदर्शित करता है कि स्वयं को अपने आराध्य से जोड़ा जाए।
जबकि आज कल के इस सांसारिक जीवन में योग को परिभाषित करना शारीरिक व्यायाम या कसरत से है। द्वापर युग मे यशोदानंदन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में कुंती-पुत्र गाण्डीव धारी श्रीकृष्ण को गीता के उपदेश में योग को परिभाषित करते हुए कहा है कि "योगः कर्मसु कौशलम" अर्थात आपके कुशल कर्म को ही योग कहते हैं। आज ही से नही देव काल से ही योग हमारे संस्कृति की अभिन्न पहचान रहा है, "योग" शब्द का नाम जिह्वा पर आते ही दिमाग में भारत माता की साक्षात छवि विराजमान हो जाती है। योग यज्ञ है और यज्ञ कर्म है, योग किसी प्राणी से परमेश्वर के मिलन का साधन मात्र ही नही बल्कि ईश्वर की आराधना का साध्य भी है, अर्थात योग परमात्मा दर्शन का एक मार्ग भी है। योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के छठवें अध्याय को ही योग के नाम समर्पित कर दिया है, भगवान ने गीता के उपदेश में कहा है कि "योगस्थः कुरु कर्माणि" अर्थात योग में लीन होकर ही सद्चित कर्म सम्भव है।
योग’ कोई धर्म नहीं है। यह भलाई, यौवन और मन, शरीर व आत्मा के सहज एकीकरण का विज्ञान है। यह मानवता के लिए सद्भाव और शांति को प्रकट करता है, जो दुनिया को योग का संदेश है। यह स्वयं की, स्वयं के लिए और स्वयं के जरिए यात्रा है।
यदि योग को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पारिभाषित किया जाए तो कहा जा सकता है कि योग इस भागम भाग जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा बन गया है क्योंकि विज्ञान और विकास का बढ़ता कदम तनाव की जिंदगी दे रहा है। जिंदगी की गति अधिक तेज हो चली है। लोगों के जीने का नजरिया बदल रहा है। काम का अधिक दबाव बढ़ रहा है इससे हाईपर टेंशन, और दूसरी बीमारियां फैल रही हैं। तनाव का सबसे बेहतर इलाज योग विज्ञान में हैं, वहीं लोगों में सुंदर दिखने की बढ़ती ललक भी योग और आयुर्वेद विज्ञान को नया आयाम देगी। यह पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। आम आदमी के जिंदगी में तनाव तेजी से बढ़ रहा है।
पूरी जिंदगी असंमित हो गई है, जिसकी वजह से परिवार में तनाव और झगड़े होते हैं। लोगों के पास आज पैसा है लेकिन शांति नहीं है, जिसकी वजह से परिवार में संतुलन गायब है। लोग खुद से संतुष्ट नहीं है। इस स्थिति से निकालने के लिए योग सबसे बेहतर उपाय हो सकता है। इसलिए भाग दौड़ की जिदंगी को अगर संयमित और संतुलित करना है तो मन को स्थिर रखना होगा। जब तक हमें मानसिक शांति नहीं मिलेगी तब तक हम जीवन के विकारों से मुक्त नहीं हो सकते हैं। उस स्थिति में योग ही सबसे सरल और सुविधा युक्त माध्यम हमारे पास उपलब्ध है।
हमारी हजारों साल की वैदिक परंपरा को वैश्विक मंच मिला है। योग का प्रयोग अब दुनिया भर में चिकित्सा विज्ञान के रूप में भी होने लगा है, उसे स्थिति हमें अपने जीवन के साथ जीने का नजरिया भी बदलना होगा। योग स्वस्थ दुनिया की तरफ बढ़ता कदम है। इसका सहभागी बन अपनी जिंदगी को आइए हम शांत और खुशहाल बनाएं। परिवार जब स्वस्थ होगा तो सेहतमंद समाज का निर्माण होगा। जब समाज अच्छा होगा तो देश की प्रगति में हमारा अहम योगदान होगा।
इसी निवेदन के साथ कि कल अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर हम सब संकल्प लें कि इस भागम भाग जिंदगी में 10 मिनट योग को भी समर्पित किया जाय, आपका सुखी व निरोग रहना अत्यंत आवश्यक है और इसका एक मात्र साधन है योग। आधुनिक युग की व्यस्त दिनचर्या में योग हमारे लिए अमृत है और आइए अंतराष्ट्रीय योग दिवस की पावन बेला पर हम सभी योग रूपी अमृत का रसपान करें !
अरविन्द कुशवाहा,
(जिलाध्यक्ष : राष्ट्रीय लोक कला मंच - मऊ)
(प्रधानाचार्य : सनराइज पब्लिक कान्वेंट स्कूल, पहसा-मऊ)
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