बाल मजदूरी एक अभिशाप

हमारे समाज के दो चेहरे हैं एक वह है जो समाज की समृद्धि विकास दया शीलता दान शील तथा शिक्षित वर्ग को दर्शाता है। यही चेहरा सबको दिखाई देता है। लेकिन केवल समाज का यही एकमात्र चेहरा नहीं है समाज का एक दूसरा दुख और दर्द से भरा चेहरा भी है उसी दुख और दर्द भरे चेहरे वाले समाज का एक भाग है बाल मजदूरी।

        बाल मजदूरी केवल बच्चों का ही दर्द नहीं अपितु पूरे समाज व देश के लिए विनाशकारी तथा शर्मनाक प्रथा है।

 बाल श्रम आखिर है क्या ? 

एक निश्चित आयु से कम आयु के बच्चे से व्यवसायीकरण कराना ही बाल श्रम है जो एक संगीन जुर्म है के साथ-साथ एक महापाप भी है।

 यह कुछ मामलों में छूट दी जाती है कि जब व्यवसाय पारिवारिक हो अथवा बच्चे के माता-पिता पालन करने में असमर्थ हूं तथा बच्चे की कार्य करने की इच्छा हो और इस कार्य से उसकी शिक्षा पर कोई असर ना पड़े तब ही बच्चे को कार्य करने की अनुमति दी जाती है ऐसे कार्य को बाल श्रम की श्रेणी में नहीं रखा जाता है इसमें भी बच्चों को ऐसे क्षेत्र में कार्य करने की अनुमति नहीं दी जाती है जहां उसकी जान को खतरा हो जैसे पटाखों की फैक्ट्री और खदानों आदि में। 

क्या है बाल श्रम के लिए निर्धारित आयु ? 
                बाल श्रम के लिए निर्धारित आयु 14 वर्ष है अर्थात 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से बाल श्रम कराना दंडनीय अपराध है तथा 14 से 18 वर्ष की आयु के बीच के बच्चों से खतरनाक जगह पर कार्य कराना जहां उसकी जान को खतरा हो ऐसे कार्य भी बाल श्रम के अंतर्गत आते हैं।

आखिर क्यों है बाल मजदूरी एक कुप्रथा तथा कैसे हैं यह समाज तथा देश के लिए विनाश का कारण और अभिशाप?

                 किसी भी बच्चे को हम व्यावसायिक कार्य में लगा कर केवल उसका बचपन ही नहीं छीन लेते हम उसका बौद्धिक तथा शारीरिक विकास छीन लेते हैं हम उससे उसकी आमोद प्रमोद की बचपन की क्रियाएं छीन लेते हैं हम उस से शिक्षा का मौलिक अधिकार छीन लेते हैं। बाल्यकाल से ही जब किसी व्यक्ति को हम श्रम में लगा देते हैं तो उसको पर्याप्त शिक्षा ना मिलने के कारण उसे भले बुरे का तथा सही गलत का फर्क समझ में नहीं आ पाता इससे वह जीवन में अनेक अवांछित चुनौतियों और कष्टों का सामना करता है और अपना आर्थिक विकास नहीं कर पाता है।
                 जब समाज के अथवा देश की एक वर्ग का आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक तथा शारीरिक विकास नहीं होता है तो वह वर्ग अपने आप ही विनाश की ओर अवनत हो जाता है। फिर यह तो देश के भविष्य हैं अगर इनका बौद्धिक और शारीरिक विकास नहीं हुआ तो देश आगे चलकर घोर अशिक्षा और अराजकता के घेरे में आ जाएगा और समाज में बहुत से अंधविश्वास और कुप्रथा हैं फैल जाएंगी।  
**वर्तमान समय में तो एक हद तक बाल श्रम की घटना पर रोक लगाई जा चुकी है। किंतु आज भी कई देशों में यह खुलेआम घटित हो रहा है। अपने ही भारत देश में बाल श्रम एक बहुत बड़ी समस्या है। भारत की तो यह स्थिति है की यहां बाल श्रम की घटनाओं का डाटा भी इकट्ठा नहीं किया जा सकता। यहां बाल श्रम बहुत ही गुप्त रूप से या कहा जाए चालाकी से किया जाता है। आज भी कई होटलों में निर्माण कार्य में फैक्ट्रियों में दुकानों में बाल श्रमिक उपस्थित होते हैं। यही नहीं बच्चों को वेश्यावृत्ति की ओर भी धकेला जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय संगठन यूनिसेफ द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक नेपाल में करें 7000 से 8000 बच्चे वेश्यावृत्ति की ओर मुड़ गए हैं। बाल श्रम का एक रुप बंधुआ मजदूरी भी है जिसके अंतर्गत बच्चे का पूरा जीवन ही श्रम में निकल जाता है और उसको अपना पर्याप्त पारिश्रमिक भी नहीं मिलता है। बच्चा अपना मूल अधिकार पाना चाहता है वह रोटी कपड़ा और मकान के लिए तरस जाता है लेकिन उसे उसके बुनियादी मौलिक अधिकार भी प्राप्त नहीं हो पाते और वह ऐसे ही घुट-घुट कर मर जाता है और फिर फेंक दिया जाता है, किसी शमशान के कोने में उसकी सारी की सारी इच्छाएं धरी रह जाती हैं।

                   ऐसी घटनाओं के विचार करने मात्र से हमारी आत्मा तक कांप जाती है तो आप कल्पना कर सकते हैं कि उन बच्चों पर क्या बीतती होगी, जो फैक्ट्रियों में मैला कचरा ढोते हैं, जो घरों में झाड़ू पोछा करते हैं जो पढ़ने की उम्र में जानवर चराते हैं और जो ज्ञान अर्जन की उम्र में वेश्यावृत्ति की ओर धकेल दिए गए होते हैं।

                   अगर हमको देश को समाज को और अपने भविष्य को बचाना है तो हमें इन बच्चों को बचाना ही होगा। अगर हम एकजुट होकर लड़ेंगे इसके खिलाफ तो हमारी विजय निश्चित है। इसके लिए हमें प्रण लेना होगा की सर्वप्रथम तो हम ही किसी बच्चे से बाल श्रम नहीं करवाएंगे और ना ही किसी को करने के लिए प्रेरित करेंगे या मजबूर करेंगे। इसके बाद अगर हम कहीं बाल श्रम होते हुए देखेंगे तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस अधिकारी को अथवा लेबर इंस्पेक्टर को करेंगे अथवा बाल श्रम से जुड़ी हुई संस्थाओं को इसकी सूचना देंगे और आगे बढ़ कर उस बच्चे का जीवन बचाएंगे। इसके साथ ही बाल श्रम को खत्म करने के लिए हमारे प्रशासन को भी जागरूक व ईमानदार होना पड़ेगा क्योंकि ना जाने कितने ही बच्चों का जीवन कुछ अफसरों के भ्रष्ट होने की वजह से नष्ट हो जाता है।
                
बाल श्रम के खिलाफ विश्व की कई संस्थाएं तथा कई व्यक्ति युद्ध कर रहे हैं और कई व्यक्ति सफलता को प्राप्त कर चुके हैं और उन्हें और भी सफलता प्राप्त कर दी हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम आता है यूनिसेफ का जो एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है बाल श्रम के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संगठन के अंतर्गत कार्य करता है।
नोबेल पुरस्कार विजेता भारत के कैलाश सत्यार्थी जी ने बीसवीं शताब्दी के 90 के दशक में बचपन बचाओ अभियान चलाकर ना जाने कितने ही मासूम बच्चों का जीवन बचाया है। आज से हमें भी संकल्प कर लेना है कि हम बाल मजदूरी के खिलाफ एकजुट होकर युद्ध लड़ेंगे और इस युद्ध को जीतेंगे भी। 

- अमन अग्रवाल 'अनन्त'
 काशी हिंदू  विश्वविद्यालय 


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