जन्मदिन मुबारक हो माही , महेंद्र सिंह धोनी , Avanish Foundation

हर्षा भोगले को कहीं कहते सुना था की किसी पार्टी मे उन्होंने धोनी से पूछा उसका सबसे पसंदीदा गाना कौन सा है। जवाब था - "मै पल दो पल का शायर हूँ"। हर्षा ने कहा, उस दिन मुझे लगा की धोनी रिटायर होने के बाद शायद खेल से बिल्कुल दूर चले जाएंगे। 

धोनी से मोहब्बत की बहुत वजह हैं। शुरू मे इसलिए क्योकि झारखंड का लड़का था और फाड़ के मारता था। फिर वर्ल्ड कप, finisher, वो तमाम स्टंपिंग... यह सबकुछ आप जानते ही हैं। लेकिन सबसे ज़्यादा आकर्षित करती है उसकी level headedness। यह सिर्फ़ Captain Cool वाली बात नही है। बात जो है वो भी हर्षा के ही कहे एक लाइन से समझाता हूँ - "For Dhoni, winning is important. But losing is not such a big deal." 


यह पोस्ट धोनी के जन्मदिन पे लिख रहा हूँ, लेकिन इसकी पहली कड़ी शायद उस दिन Manchester के सेमी फाइनल मे ही लिखी जा चुकी थी। पिछले जन्मदिन के दो दिन बाद। बाद मे पता चला कि धोनी काफी दिनों तक अफ़सोस करता रहा था कि उस रन को पूरा करने के लिए डाइव क्यो नही मारा। मेरे लिए यह सवाल नही था।

धोनी को बहुत कम ही डाइव मार के रन लेते देखा है। सबका अपना तरीका होता है। रायना विकट के बीच बहुत डाइव मारता था। धोनी की ताकत है anticipation। शॉट मारते ही एक रन है या दो, इसे भाँप लेना। और बहुत तेज़ भागना। 10.5 सेकंड के आस-पास मे 100 मीटर भाग लेता है। इसलिए मेरे लिए सवाल बना कैसे anticipate नही कर पाया? Finisher बनना सिर्फ़ बड़े शॉट लगाना नही होता है। इन छोटे moments को जितना होता है। ठीक जितने इंच से धोनी रन आउट हुआ, उस दूरी को जीतना। धोनी बिना डाइव मारे या बिना गाली बके उस दूरी को जीत लेता है।

लेकिन उस रन आउट ने कही एक शक पैदा कर दिया। पिछले कुछ सालों से ऐसे भी बड़े शॉट धोनी से नही लग रहे थे। इन छोटी बारीकियों की समझ ने धोनी को बनाए रखा था। उस रन आउट से शक पैदा हुआ कि क्या अब बाकी कोनों मे भी धूल जम रही है? क्या धोनी ने sabbatical भी इस शक के वजह से लिया? क्या वो यह anticipate करने की कोशिश कर रहा था कि career मे अब एक रन बचा है या दो? 

पता नही। 

धोनी हमेशा ही बहुत secretive रहा। शादी, टेस्ट से रिटायरमेंट, नया हेयरस्टाइल - सबकुछ एकदम से हो जाता था। इस बार तो हद ही हो गई। कई बार मैने ख़ुद कहा, "अब ड्रामा कर रहा है साला"। लेकिन फिर भी बहुत बेसब्री से IPL का इंतज़ार कर रहा था। पता था शायद आख़िरी बार देखूंगा। धोनी शायद ख़ुद भी इंतज़ार कर रहा था। हर बात का जवाब देने के लिए। 

पर जो हुआ उसके लिए कौन तैयार था? क्या धोनी को मलाल होता होगा कि मैदान मे उसके आखिरी frame मे वो क्रीज़ से दूर रह गया? क्या वो आखिरी frame है? अब जब IPL नही हो रही है तो क्या धोनी को लगता होगा कि एक बार के लिए दिल खोल के बोलूँ कि कैसा लगा था जब रन आउट हो गया था? कैसा लगा जब IPL नही हो पाया? क्या ऐसा लगता होगा कि पल दो पल का शायर तो हूँ, लेकिन आखिरी नज़्म कुछ और पढ़ना चाहता था। 

यह सब लगता होगा or has Dhoni become a victim of his own image? जब आपकी साख इस बात से हो कि "losing is not such a big deal", तब शायद ख़ुद को कमज़ोर दिखाना थोड़ा और मुश्किल हो जाता है। 

बचपन मे खेलते हुए जब अंधेरा हो जाता था तो कोशिश रहती थी कि बस एक और मैच खेल लेते हैं, एक ओवर... चलो तीन बॉल। धोनी के लिए कुछ वैसा ही लगता है। उसे आख़िरी नज़्म पढ़ने को मिले तो क्या ही बात है। नही मिले तो... तो tragic hero के कायल तो हम हमेशा ही रहे हैं। 

जन्मदिन मुबारक माही।

©Abhik Deb sir  

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